"ख़्वाब या हकीक़त"
दोस्तों ये मेरी पहली रचना है। जो की एक प्रेम कहानी है, जिसका शीर्षक है-
"ख़्वाब या हकीक़त"
पिछले 2 दिनों की तरह आज फिर मुझे ऑफिस से घर जाने में लेट हो गया था,
जल्दी जल्दी बाइक निकाली और चल दिया मस्ती से गाते हुए,
बस घर से कुछ ही दूर था कि बारिश होने लगी,
वैसे तो बारिश बहुत पसंद है पर ऑफिस की थकान की वजह से घर जल्दी जाने की इच्छा हुई,
ऑफिस की तरफ से मिला घर काफी बड़ा था पर मैं अकेले ही रहता था पर जैसे ही घर पहुंचा तो दरवाजे पर नए जमाने की पोशाक में एक लड़की खड़ी थी,
पहले तो मैं थोड़ा घबराया क्योंकि नौकरी के लिए अभी कुछ दिनों पहले ही आया था इस जगह और किसी से पहचान भी नहीं थी
फिर एक अनजान शहर में यूं घर के बाहर किसी लड़की का मिलना आश्चर्य ही तो था।
खैर आगे बढ़ा तो थोड़ा साफ देख पाया ....
लड़की ने नीले रंग की स्कर्ट और सफेद रंग की कमीज़ पहनी थी घुघराले बालों का उसने जुड़ा बना रखा था और आंखों में काजल, होठों पे लिपस्टिक या यूं कहे तो उसने नए जमाने के हिसाब से पूरा मेकअप कर रखा था।
पास जाकर उससे मुखातिब हुआ तो मोहतरमा ने अपना नाम जोया बताया और कहा कि बस थोड़ी ही दूर पर उसका घर है,प माता पिता घर से बाहर हैं, उन्हें थोड़ा वक्त लगेगा आने में और घर पर ताला लगा हुआ होने के कारण वो बारिश से बचने को यहां आ गई।
मैं उसे बुलाना तो नहीं चाहता था पर ना जाने किस मोहपाश में आकर मैंने उसे अंदर आने का न्योता दे दिया।
मैं उसे सोफे पे बिठा कर खुद कमरे में कपड़े बदलने चला गया और वापस आया तो देखा जोया घर की चीजों को बहुत ध्यान से निहार रही थी।
मैं उसे बिना परेशान किए हुए किचेन में कॉफी बनाने चला गया।
थोड़ी देर बाद मैं और जोया कॉफी का मग लिए हुए एकदुसरे से बातें करने लगे पर जोया मुझसे ज्यादा इस घर के बारे में जानने को उत्सुक दिखी।
ये घर तुम्हारा है?? क्या तुम्हें पता है कि तुमसे पहले ये घर किसका था??? वगैरह वगैरह...
यूंही बात करते करते जोया कब मेरे एकदम नज़दीक आ गई पता ही नहीं चला।
उसकी नजदीकियो को मैं चाह कर भी अनदेखा नहीं कर पा रहा था।
उसका मेरे करीब आना मुझे बाहों में भरना सब कुछ एक नशे के जैसे था।
पूरी रात उसकी आगोश में रहने के बाद कब मुझे नींद आयी और कब सुबह हुई मुझे पता ही नहीं चला।
सुबह आंख खुली तो कमरे में मैं सिर्फ अकेला ही था पूरे घर में जोया कहीं नहीं मिली।
कौन थी वो कहा गई बिन बताए इसी कश्मकश में पूरा दिन निकल गया और शाम को जरा जल्दी निकल गया उसके बारे में पता करने के लिए।पास पड़ोस में पता करने पे पता चला कि जोया ने अपने पिता का जो नाम बताया था वो अपने मेरे इसी घर में कुछ साल पहले रहते थे जिनकी एक कार दुर्धटना में मृत्यु हो गई थी और राह देखते हुए उनकी बेटी ये सदमा बर्दाश्त ना कर सकी और उसने इसी घर की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली।तब से वो ऐसे ही यहां आने जाने वाले लोगो को नजर आती है।
उस रात की अगली सुबह ही मैंने अपना तबादला करवा दूसरे ही दिन वो घर छोड़ कर दूसरे शहर शिफ्ट हो गया।
पर जब भी कभी वो पल याद आता है तो मन में एक ही सवाल उठता है कि वो ख़्वाब था या हकीक़त।
कृपया अपनी सकारात्मक या नकारात्मक प्रतिक्रिया अवश्य दें।
धन्यवाद्
Wahh
ReplyDeleteThank u dear
DeleteInteresting story
ReplyDeleteThank u
DeleteBahut khub...ek Prem kahani kalm ki jubani...
ReplyDeleteThank u
DeleteBht khub dost
ReplyDeleteThank u
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteWoww.. how romantic
ReplyDeleteShukriya
Delete