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"नामकरण"

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दोस्तों आज मैं लेकर आयी हूं अपनी दूसरी रचना जो की एक बड़ी ही साधारण और पवित्र सी प्रेम कहानी है। इसका शीर्षक है-   एक प्रेम कहानी का ऐसा अनोखा शीर्षक ये आप कहानी पढ़ कर जान जाएंगे । गली में एक तरफ जलेबी वाले बिहारी गर्मागर्म जलेबियां तल रहे थे, दूसरी तरफ सायकिल की दुकान पर छोटू सायकिल में हवा भर रहा था, चाय की दुकान पर रामू काका चाय ग्लास में भर ग्राहकों को दे रहे थे। खूब चहल पहल थी।   ठीक उसी समय आसमानी रंग का लिबास पहने, माथे पे छोटी सी बिंदी,आंखों में सूरमा,होठों पर हल्की सी लाली, गालों को चूमती हुई बालियां और खुले हुए काले बालों के साथ राधा जब गली से गुजरी, तो उसकी नज़र चाय की टपरी पे बैठे नीली आंखों वाले लड़के पर पड़ी। दोनों की निगाहें जब एक दूसरे से टकराई तो मानों पूरा कोलाहल शांत हो गया। लगा जैसे वहां उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था। आंखों ही आंखों में सारी बातें हो गई। पीछे रेडियो पे धुन बजती है... "लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो   शायदफिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो।" गाने से उनका ध्यान भंग हो जाता है, और ध्यान जाता है गाने की दूसरी लाइन पर, 'शायद फिर इस जन

"ख़्वाब या हकीक़त"

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दोस्तों ये मेरी पहली रचना है। जो की एक प्रेम कहानी है, जिसका शीर्षक है- "ख़्वाब या हकीक़त" पिछले 2 दिनों की तरह आज फिर मुझे ऑफिस से घर जाने में लेट हो गया था, जल्दी जल्दी बाइक निकाली और चल दिया मस्ती से गाते हुए, बस घर से कुछ ही दूर था कि बारिश होने लगी, वैसे तो बारिश बहुत पसंद है पर ऑफिस की थकान की वजह से घर जल्दी जाने की इच्छा हुई, ऑफिस की तरफ से मिला घर काफी बड़ा था पर मैं अकेले ही रहता था पर जैसे ही घर पहुंचा तो दरवाजे पर नए जमाने की पोशाक में एक लड़की खड़ी थी, पहले तो मैं थोड़ा घबराया क्योंकि नौकरी के लिए अभी कुछ दिनों पहले ही आया था इस जगह और किसी से पहचान भी नहीं थी  फिर एक अनजान शहर में यूं घर के बाहर किसी लड़की का मिलना आश्चर्य ही तो था। खैर आगे बढ़ा तो थोड़ा साफ देख पाया .... लड़की ने नीले रंग की स्कर्ट और सफेद रंग की कमीज़ पहनी थी घुघराले बालों का उसने जुड़ा बना रखा था और आंखों में काजल, होठों पे लिपस्टिक या यूं कहे तो उसने नए जमाने के हिसाब से पूरा मेकअप कर रखा था। पास  जाकर उससे मुखातिब हुआ तो मोहतरमा ने अपना नाम जोया बताया और कहा कि बस थोड़ी ही दूर पर उसका घर है